भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
आज स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर मैं आप को भारत के इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूँ कि कितनी मेहनतों से हम लोगों को यह आज़ादी मिली है।
ईस्ट इंडिया कम्पनी का भारत में आगमन
इस कंपनी की शुरुवात 1600 में मानी जाती है। इस कम्पनी के व्यपारियों ने भारत के लोगों का शोषण किया और भारत का शासन अपने अधीन बना लिया। माना जाता है कि वर्ष 1498 में पुर्तगाल के नाविक वास्कोडिगामा ने यूरोप से भारत में आने वाले समुंदरी मार्ग की खोज की थी। उसके कारण पुर्तगाली भारत पर आये थे। उन्होंने यहाँ पर व्यापार किया और साथ में उन्होंने अपनी वस्तियां समुन्दर के किनारे बसा ली थी । उन्हें इससे बहुत लाभ हुआ और उन्होंने यह बात यूरोप के देशों को बताई।
इंग्लैंड में भी 31 dec.1600 को महारानी एल्जा वेथ ने वहाँ के व्यपारियों के प्रार्थना पत्र को अपनी अनुमति दे दी कि वो भारत में अपना शासन कर सके । इस तक इस कंपनी का भारत में आगमन हुआ।
ईस्ट इंडिया कम्पनी का भारत पर अधिकार (1600-1757 )
इस समय को कम्पनी की विरासत का समय कहा जाता है। कंपनी ने कई अधिकारियों को कम्पनी में नियुक्त किया और उन्हें निजी अधिकारी बना दिया गया। इन व्यपारियों ने बड़े गलत तरीको से पैसा इकठा किया।
धीरे-धीरे यह कम्पनी राजनिक तौर पर बहुत मजबूत होती जा रही थी। उस समय के राजाओं ने भी इस कंपनी का व्यापार में साथ दिया। उन्होंने अपनी सारी जमीन कम्पनी को दे दी। समय के साथ-साथ अधिकारियों ने अपने बल पर सारी जमीन को अपने नाम करा लिया।
युद्ध
- वर्ष 1757 में प्लासी की लड़ाई में नवाब सिराजुद्दौला को हार कर बंगाल में अपना शासन जमा लिया
- वर्ष 1764 में बक्सर के युद्ध में कंपनी ने शाहआलम ,शुजाउद्दौला,मीर कासिम को हरा कर अपने शासन को दिल्ली तक पहुँचा दिया।
- वर्ष 1818 में कम्पनी ने मराठा शक्ति का अंत किया।
- वर्ष 1849 के चिलियांवाला के युद्ध में सिखों का अंत कर के भारत में पूरा शासन जमा लिया।
1857 का विद्रोह
1857 के विद्रोह की भूमिका नाना साहब थे। यह गदर मेरठ में बेरोजगार सैनिकों के विद्रोह से शुरु हुआ। उनकी बेरोजगारी का कारण वो नई कारतूस थी जो नई एनफील्ड राइफल में लगती थी। इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी से बना ग्रीस था जिसे सैनिक को राइफल इस्तेमाल करने की सूरत में मुंह से हटाना होता था। यह हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के सैनिकों को धार्मिक कारणों से मंजूर नहीं था और उन्होंने इसे इस्तेमाल करने से मना कर दिया था जिसके चलते वो बेरोजगार हो गए।
1857 का के मुख्य नेता
- बहादुर शाह जफ़र
- वेगम हज़रत महल
- राजा कुबर सिंह
- खान बहादुर खाँ
- तात्या टोपे
- रानी लक्ष्मीबाई
1857 का विद्रोह के परिणाम
- अंग्रेजो ने ईस्ट इंडिया कम्पनी का शासन खत्म कर के ब्रिटिश शासन को ले आये।
- उन्होंने मुग़ल साम्राज्य का अंत कर दिया।
- ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना समाप्त करना।
- सेना का पुर्नगठन करना।
1857 का विद्रोह का प्रभाव
राजा राम मोहन राय, बंकिम चंद्र और ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे सुधारक पटल पर उभरे और उन्होंने भारतीयों के हक की लड़ाई लड़ी। उनका प्रमुख लक्ष्य एकजुट होकर विदेशी शासन के खिलाफ लड़ना था।
कांग्रेस की स्थपना
1885 को भारतीय कांग्रेस की स्थपना हो गए थी। इसका नेतृत्व करने वाला वर्ग मध्य वर्ग था। इसी कारण स्वदेशी आंदोलन चला जिसकी बजा से हस्तशिल्प को प्रोत्साहन मिला।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का योगदान
1914-1918 के प्रथम विश्व युद्ध के बाद महात्मा गांधी भारत लौटे और देश की हालत समझकर अहिंसक आंदोलन ‘सत्याग्रह’ के तौर पर शुरु किया।
जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड
रौलेट एक्ट के विरोध में 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में एक जनसभा आयोजित की गयी ,जिस पर जरनल डायर ने गोली चला दी ,जिसमे बहुत से लोग मरेंगे।
असयोग आंदोलन
वर्ष 1920 में असयोग आंदोलन आंरभ हुआ। इस आंदोलन के दौरान विधार्थियों ने शिक्षा,वकीलों ने न्यायालयों का बहिष्कार कर दिया। feb 1922 में गाँधी जी ने चोरा-चोरी की घटना के बाद इस आंदोलन को वापिस ले लिया।
दण्डी यात्रा
इसे नमक सत्यागह के रूप में जाना जाता है। गाँधी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ मिल कर सांकेतिक रूप से नमक कानून तोडा था। इसका उदेश्य अंग्रेजों के काले कानून को तोडा था।
भारत छोड़ो आंदोलन
8,aug,1942, को बम्बई में इस आंदोलन का आरंभ हुआ था। गाँधी ने करो या मरो का नारा दिया था। इस आंदोलन का मुख्य उदेश्य यह था कि अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर देना। और यह आंदोलन सफल भी हुआ और वर्ष 1947 को आज ही के दिन हमें आजादी मिल गए थी।
आशा करता हूँ आपको यह सब अच्छा लगा होगा।