मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सभी विधायकों को कहा है कि वे जीरो बजट खेती की शुरुआत अपने खेतों से करें। उन्होंने कहा कि विधायक इसकी शुरुआत करेंगे तो लोग इसे बढ़ावा देंगे।
शनिवार को पीटरहॉफ शिमला में हुए राज्य सरकार के कृषि विभाग के ‘शून्य लागत प्राकृतिक खेती सम्मेलन’ में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोग राज्यपाल आचार्य देवव्रत से सीख ले सकते हैं। उन्होंने गुरुकुल कुरुक्षेत्र में जीरो बजट खेती का सफल प्रयोग किया है।
प्राकृतिक खेती की ओर लौटने की जरूरत
सीएम ने कहा कि प्राकृतिक खेती की ओर लौटने की जरूरत है। प्रकृति में फसलों को बेहतरीन तरीके से उगाने के लिए सारी चीजें मौजूद हैं, मगर इस बारे में जानकारी हासिल कर काम करने की जरूरत है।
हमने रासायनिक दवाओं और खादों का इस्तेमाल कर अपनी परंपरागत खेती की दिशा ही मोड़ दी है। इससे जमीन की उर्वरता घटी है। जीरो बजट खेती पर आयोजित इस कार्यक्रम मेें राज्यपाल आचार्य देवव्रत, विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल, मंत्री, विधायकों, अधिकारियों के अलावा बड़ी संख्या में अधिकारी और किसान मौजूद हुए।
हमने रासायनिक दवाओं और खादों का इस्तेमाल कर अपनी परंपरागत खेती की दिशा ही मोड़ दी है। इससे जमीन की उर्वरता घटी है। जीरो बजट खेती पर आयोजित इस कार्यक्रम मेें राज्यपाल आचार्य देवव्रत, विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल, मंत्री, विधायकों, अधिकारियों के अलावा बड़ी संख्या में अधिकारी और किसान मौजूद हुए।
पिताजी घरेलू सामान की कम, खाद-स्प्रे की ज्यादा चिंता करते थे : जयराम
सीएम ने कहा कि हमारे यहां लगभग हर घर में राशन-पानी की कम चिंता रहती है। फसलों के लिए खाद और छिड़काव की सामग्री का प्रबंध पहले करने की फिक्र ज्यादा रहती है।
हमने ये मान लिया है कि बिना रासायनिक खाद या कीटनाशकों के फसलें हो ही नहीं सकती हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि उनके पिताजी को भी घर के दूसरे सामान की चिंता कम रहती थी। खाद-स्प्रे का सामान समय पर पहुंचे, इसकी इसका ज्यादा ध्यान रहता था।
ऐसे बनाया जाता है जीरो बजट खेती का घोल
शनिवार को विशेषज्ञों ने जीरो बजट खेती की जीवामृत पद्धति के अनुसार एक एकड़ के लिए 10 किलोग्राम देसी गाय का गोबर, 5 से 10 लीटर गोमूत्र, एक से दो किलोग्राम गुड़, एक से दो किलोग्राम बेसन, एक किलोग्राम पेड़ के नीचे की मिट्टी तथा 200 लीटर पानी की आवश्यकता बताई।
इन सभी सामग्रियों को प्लास्टिक के ड्रम में घोलना है। लकड़ी के एक डंडे से इस घोल को 2 से 3 दिन तक सड़ने के लिए छाया में रखना है। प्रतिदिन 2 बार सुबह शाम घड़ी की सुई की दिशा में लकड़ी के डंडे से दो मिनट तक घुमाकर ढक देना है।
यह घोल एक एकड़ के लिए पर्याप्त है। इसका छिड़काव करने से जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है। देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ उपयोगी भोजन निर्माण करने वाले जीवाणु होते हैं।
एक गाय के साथ 25 से 30 एकड़ भूमि में खेती की जा सकती है। इसे जीरो बजट इसलिए कहते हैं कि ये घोल घरेलू सामान से बगैर पैसा खर्च किए भी बन सकता है।
इन सभी सामग्रियों को प्लास्टिक के ड्रम में घोलना है। लकड़ी के एक डंडे से इस घोल को 2 से 3 दिन तक सड़ने के लिए छाया में रखना है। प्रतिदिन 2 बार सुबह शाम घड़ी की सुई की दिशा में लकड़ी के डंडे से दो मिनट तक घुमाकर ढक देना है।
यह घोल एक एकड़ के लिए पर्याप्त है। इसका छिड़काव करने से जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है। देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ उपयोगी भोजन निर्माण करने वाले जीवाणु होते हैं।
एक गाय के साथ 25 से 30 एकड़ भूमि में खेती की जा सकती है। इसे जीरो बजट इसलिए कहते हैं कि ये घोल घरेलू सामान से बगैर पैसा खर्च किए भी बन सकता है।
हिमाचल देश में प्राकृतिक कृषि का आदर्श राज्य होगा : राज्यपाल
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आशा जताई की निकट भविष्य में हिमाचल देश में प्राकृतिक कृषि का आदर्श राज्य होगा तथा अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे। राज्यपाल आज यहां कृषि विभाग द्वारा आयोजित ‘शून्य लागत प्राकृतिक कृषि’ सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग द्वारा जैविक उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे प्रदर्शनी स्टॉलों का भी दौरा किया। अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने जैविक कृषि पर पावर पॉइंट प्रस्तुति दी।
मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग द्वारा जैविक उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे प्रदर्शनी स्टॉलों का भी दौरा किया। अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने जैविक कृषि पर पावर पॉइंट प्रस्तुति दी।
मुख्यमंत्री ने ईको टूरिज्म वेबसाइट का शुभारंभ किया
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शनिवार को वन विभाग की ईको टूरिज्म वेबसाइट का शुभारंभ किया। इस वेबसाइट पर हिमाचल प्रदेश ईको टूरिजम पॉलिसी 2017 से संबंधित जानकारी, हिमाचल में ईको टूरिज्म की संभावनाओं के साथ साथ वन वृत्त स्तर पर ईको ट्रैकिंग रूटों की जानकारी, ईको टूरिस्ट के लिए
मार्गदर्शन तथा सार्वजनिक निजी सहभागिता पर चलाई जा रही ईको टूरिज्म साइटों की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। इसके अलावा साइट पर ईको पर्यटक अपनी फीड बैक भी दे सकते हैं।
वेबसाइट द्वारा ईको टूरिज्म के अंतर्गत चलाए जा रहे 50 वन विश्राम गृहों की आनलाइन बुकिंग की जा सकती है। इसके अलावा अन्य वन विश्राम गृहों की आनलाइन बुकिंग भी इस वेबसाइट द्वारा की जा सकेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वन प्रचार मंडल के बहुउद्देशीय पोस्टर का भी विमोचन किया।
इस पोस्टर का वितरण प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में किया जाएगा। शुभारंभ के अवसर पर वन मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल डा जीएस गोराया, मुख्य अरण्यपाल वन संजय सूद आदि इस अवसर पर उपस्थित थे।
मार्गदर्शन तथा सार्वजनिक निजी सहभागिता पर चलाई जा रही ईको टूरिज्म साइटों की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। इसके अलावा साइट पर ईको पर्यटक अपनी फीड बैक भी दे सकते हैं।
वेबसाइट द्वारा ईको टूरिज्म के अंतर्गत चलाए जा रहे 50 वन विश्राम गृहों की आनलाइन बुकिंग की जा सकती है। इसके अलावा अन्य वन विश्राम गृहों की आनलाइन बुकिंग भी इस वेबसाइट द्वारा की जा सकेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वन प्रचार मंडल के बहुउद्देशीय पोस्टर का भी विमोचन किया।
इस पोस्टर का वितरण प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में किया जाएगा। शुभारंभ के अवसर पर वन मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल डा जीएस गोराया, मुख्य अरण्यपाल वन संजय सूद आदि इस अवसर पर उपस्थित थे।