आज मैं आप को हडप्प्पा सभ्यता के बारे में बताने जा रहा हूँ। आप सब जानते ही होंगे कि हड़प्पा सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यता में से एक हैं। हड़प्पा सभ्यता भारत की सबसे पहली शहरी सभ्यता हैं। यह सभ्यता लगभग 5000 वर्ष पुरानी मानी हैं।
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नाम करण
हड़प्पा सभ्यता
इस सभ्यता की सबसे पहले जानकारी हमें हड़प्पा नाम स्थान पर मिलती थी,इसलिए अधिकतर लोग इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता नाम से जाना जाता हैं।
सिन्धु घाटी की सभ्यता
इस सभ्यता को सिन्धु घाटी की सभ्यता के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि शुरुबती दिनों में इस सभ्यता के प्रमुख केन्द्र सिन्धु नदी के आस पास मिले थे।
कांसे युगीन सभ्यता
इस सभ्यता को कांसे युगीन सभ्यता भी कहा जाता था क्योंकि अत्यधिक लोगों ने कांसे का प्रयोग किया था। आपने बर्तन,औजार,मुर्तियाँ बनाने के लिए किया जाता था।
हड़प्पा सभ्यता की जानकारी
हड़प्पा सभ्यता की जानकारी का प्रमुख संसाधन खनन विभाग पर निर्भर करना हैं ,क्योंकि खनन के प्रमुख जो हमें खण्ड प्राप्त हुए है उसमें औजार उसके हथियार मूर्तियां मोहरें आभूषण इस सभ्यता के प्रमुख संसाधन थे।
लिखित जानकारी
हड़प्पा सभ्यता की हमें लिखित जानकारी नहीं मिलती है। हालांकि इसकी एक लिपि थी जिसके कुछ अवशेष प्राप्त हुए है जिनको पढ़ने में आज तक इतिहासकार असमर्थ रहे हैं। शायद इस लिपि को पढ़ने के बाद ओर भी अधिक जानकारी मिल सकती है।
हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख केन्द्र
हड़प्पा सभ्यता की सबसे पहले जानकारी अलेकजेण्डर कर्निघम ने 1875 में की थी। हड़प्पा सभ्यता लगभग एक हज़ार करीब केंद्र हैं। हड़प्पा सभ्यता लगभग 12,99,600 कि.मी में फैली हुई थीं। इस सभ्यता के प्रमुख केन्द्र का वर्णन इस प्रकार से हैं।
हड़प्पा
हड़प्पा की खोज सबसे पहले 1921 दयाराम साहनी ने की थी। हड़प्पा आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब के नजदीक राबी नदी के किनारे में बसा हैं, इसी के कारण इस सभ्यता का नाम पड़ा था। यहाँ की सड़के ओर नालियाँ पक्की थी। मकान पक्की ईटों के बने हुए थे। इस सभ्यता का सबसे बड़ा नगर हड़प्पा था। इस नगर को
शत्रु से बचने के लिए चारों ओर से बड़ी बड़ी दीवारें बना दी गए थी।
मोहनजोदड़ो
मोहनजोदड़ो का वास्तविक अर्थ मृतकों का टीला है क्योंकि इतिहासकारों का अनुमान है कि यह नगर सात बार बना और सात बार ही उझड़ा होगा। मोहनजोदड़ो पाकिस्तान के अरकाना ज़िले में स्थित है। यह मुख्य व्यापारी केंद्र भी था। मोहनजोदड़ो में हमे एक बहुत ही स्नान गृह भी मिला है और साथ में एक कांसे की मूर्ति भी मिली है जो की नर्तकी की थी। वहाँ कई मोहरें और आभूषण भी मिले है। इसकी खोज 1922 में यखदास ने की थी।
रोपड़
इस केंद्र की खोज 1951 में हुई थी यह नगर सतलुज नदी के किनारे में बसा हुआ था। यहाँ के अनेक आभूषण मूर्तियाँ,मोहरे प्राप्त हुई है।
काली बंगा
काली बंगा राजस्थान में है। काली चुड़ी के कारण इस जगह का नाम काली बंगा पड़ा है। इस की खोज 1953 में ही की गई थी। यहाँ पर भी हमें इस सभ्यता की जानकारी मिलती है।
लोथल
लोथल नाम की जगह गुजरात में पड़ती है। यहाँ पर हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख बन्दरगाह हुआ करती थी। यही से
दूसरे देशों के साथ व्यापार किया जाता था।
घोलवीरा
घोलावीरा भी आधुनिक गुजरात में ही पड़ता है। यहाँ पर मनको को छेद करने के कई उपकरण लगाए जाते है। यहाँ पर बड़े बड़े जलाशय मिले है ,जिन से खेतों की सिचाई की जाती थी।
आलमगीरपुर
आलमगीरपुर आधुनिक उत्तर प्रदेश में पड़ता है। यहाँ पर भी हड़प्पा सभ्यता की जानकारी मिलती है।
वनवाली
वनवाली यह स्थान हरियाणा के जिले इसार में पड़ता है। यहाँ पर भी आभूषण, मूर्तियाँ,मोहरें खुदाई के दौरान प्राप्त हुए है।
सघोल
सघोल यह स्थान पंजाब के लुधियाना स्थान में है। यहाँ भी हड़प्पा सभ्यता की जानकारी मिली है।
धन्यवाद ,आशा करता हुँ आपको यह उपन्यास अच्छा लगा होगा। आप सबसे अनुरोध है कि इस उपन्यास को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस पढ़ सके।
अगले उपन्यास में आपके लिए हड़प्पा सभ्यता के नगर योजना और सामाजिक जीवन के बारे में आपको बतायुगा।